ज्योतिष में केन्द्राधिपति दोष (Kendradhipati Dosha) एक महत्वपूर्ण दोष माना जाता है, जो जातक के जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। यह दोष तब बनता है जब कोई शुभ ग्रह केन्द्र स्थान (1st, 4th, 7th, 10th भाव) में स्थित होकर अपनी शुभता खो देता है और अशुभ परिणाम देने लगता है। इस लेख में हम इस दोष के कारण, प्रभाव और निवारण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
केन्द्राधिपति दोष तब बनता है जब किसी शुभ ग्रह को केन्द्र स्थान में होने के कारण अपनी शुभता खोनी पड़ती है और वह कमजोर या अशुभ प्रभाव देने लगता है। विशेष रूप से बृहस्पति, शुक्र, बुध और चंद्रमा इस दोष से प्रभावित होते हैं, जब वे केंद्र भावों के स्वामी होते हैं।
🔻 व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव
🔻 विवाह और दांपत्य जीवन पर प्रभाव
🔻 व्यापार और करियर पर प्रभाव
🔻 स्वास्थ्य पर प्रभाव
✅ मंत्र जाप और पूजा
✅ रत्न धारण करें
✅ दान और सेवा करें
✅ विशेष पूजा और हवन करें
❓ केन्द्राधिपति दोष सबसे ज्यादा किस राशि में प्रभाव डालता है?
✅ यह दोष विशेष रूप से मेष, कर्क, तुला और मकर लग्न में ज्यादा प्रभावी होता है।
❓ क्या यह दोष जीवनभर बना रहता है?
✅ नहीं, ग्रहों की दशा और उपचार करने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
❓ क्या इस दोष का असर विवाह पर भी पड़ता है?
✅ हाँ, इस दोष के कारण विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में तनाव और अलगाव जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
❓ क्या मंत्र जाप से यह दोष ठीक हो सकता है?
✅ हाँ, उचित मंत्र जाप, पूजा-पाठ और ग्रहों की शांति से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
❓ इस दोष का उपचार कितने समय में असर दिखाता है?
✅ उपचार और उपाय करने के बाद व्यक्ति की कुंडली और ग्रह दशा के अनुसार 3 से 6 महीने में सकारात्मक बदलाव दिख सकते हैं।
केन्द्राधिपति दोष ज्योतिष के महत्वपूर्ण दोषों में से एक है, जो व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, उचित उपाय, पूजा-पाठ, मंत्र जाप और जीवनशैली में बदलाव से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर आपकी कुंडली में यह दोष है, तो किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लेकर उपाय करें और अपने जीवन को सुखमय बनाएं। 🙏