भारत में तांत्रिक और विशेष पूजा विधियाँ अत्यधिक प्रभावशाली और गूढ़ साधनाएँ मानी जाती हैं। यह पूजाएँ विशेष रूप से शक्ति, शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती हैं। इन विधियों का महत्व वेदों, तंत्र-शास्त्र और पुराणों में वर्णित है।
इस लेख में हम निम्नलिखित महत्वपूर्ण तांत्रिक और विशेष पूजाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे:
✔ रुद्राभिषेक की संपूर्ण विधि
✔ नवग्रह शांति पूजा कैसे करें?
✔ महामृत्युंजय जाप कैसे करें?
✔ काली पूजा कैसे की जाती है?
✔ पंचमकार पूजा क्या है?
✔ अष्ट भैरवी पूजा क्या है?
✔ काल भैरव पूजा कैसे करें?
✔ बटुक भैरव पूजा की विधि
✔ दस महाविद्या पूजा की संपूर्ण प्रक्रिया
✔ 64 योगिनी पूजा का रहस्य
✔ चक्रपूजा कैसे की जाती है?
🔸 शिवलिंग की स्थापना – एक स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग को विराजमान करें।
🔸 स्नान एवं शुद्धिकरण – शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराएँ।
🔸 पुष्प एवं बिल्वपत्र अर्पण – शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, और अक्षत चढ़ाएँ।
🔸 मंत्र जाप – “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें और रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें।
🔸 आरती एवं प्रसाद – घी का दीपक जलाएँ, शिव आरती करें और भगवान शिव को फल, मिष्ठान्न एवं पंचामृत अर्पित करें।
🔹 स्थापन – पूजन स्थल पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें।
🔹 मंत्र जाप – प्रत्येक ग्रह के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें।
🔹 दान – ग्रहों की शांति के लिए तिल, चावल, गुड़, वस्त्र, रत्न एवं अन्य वस्तुएँ दान करें।
🔹 हवन – नवग्रहों की प्रसन्नता के लिए विशेष हवन करें।
🔹 आरती एवं समापन – नवग्रहों की आरती कर प्रसाद वितरण करें।
🔸 संभावित तिथि एवं मुहूर्त का चयन करें।
🔸 शुद्धता एवं संकल्प लें और कुशासन पर बैठें।
🔸 भगवान शिव का आह्वान करें और शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
🔸 “ॐ त्र्यंबकम् यजामहे…” महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
🔸 अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
🔹 माँ काली की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
🔹 काले तिल, गुड़, नारियल और लाल फूल अर्पित करें।
🔹 “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔹 दीप जलाकर माँ काली की आरती करें और नैवेद्य अर्पित करें।
यह एक अत्यंत गुप्त तांत्रिक पूजा है, जो विशेष साधकों द्वारा की जाती है। इसमें पंच तत्वों का प्रयोग किया जाता है, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत की जाती है।
🔹 मंत्र साधना – प्रत्येक भैरवी के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
🔹 नैवेद्य – विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न एवं फल अर्पित किए जाते हैं।
🔹 रात्रिकालीन साधना – अष्ट भैरवी पूजा विशेष रूप से मध्यरात्रि में की जाती है।
🔹 काल भैरव की प्रतिमा पर काले तिल, सरसों का तेल एवं सिंदूर अर्पित करें।
🔹 “ॐ भयहरणं च भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
🔹 मदिरा एवं विशेष नैवेद्य अर्पित करें (तांत्रिक साधना में)।
🔸 सुबह के समय बटुक भैरव की मूर्ति का अभिषेक करें।
🔸 लड्डू एवं नारियल का भोग लगाएँ।
🔸 “ॐ बटुकाय नमः” मंत्र का जाप करें।
🔹 माँ काली से लेकर माँ कमला तक दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
🔹 इनमें प्रत्येक देवी की साधना के लिए विशेष मंत्र एवं तंत्र होते हैं।
🔹 गुप्त रूप से किए जाने वाले अनुष्ठानों के माध्यम से आध्यात्मिक सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं।
🔸 शक्ति साधना का यह एक महत्वपूर्ण अंग है।
🔸 64 योगिनियों के मंदिर में विशेष विधि से पूजा की जाती है।
🔸 इस पूजा में विशेष यंत्रों और तांत्रिक मंत्रों का प्रयोग होता है।
🔹 चक्रों की शुद्धि एवं जागरण के लिए यह पूजा की जाती है।
🔹 विशेष मंत्रों और ध्यान साधना के माध्यम से चक्रों को सक्रिय किया जाता है।
तांत्रिक एवं विशेष पूजा विधियाँ अत्यंत प्रभावशाली होती हैं और इन्हें पूर्ण श्रद्धा, विधि-विधान और सतर्कता के साथ करना आवश्यक होता है। इन पूजाओं के माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और सिद्धियों की प्राप्ति कर सकता है।
🔹 कुछ तांत्रिक पूजा विधियाँ बहु-गुप्त होती हैं और उनकी पूरी विधि लेख में नहीं दी जा सकती। इन्हें योग्य गुरु या सिद्ध साधक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।